• Published : 30 Sep, 2015
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मुस्कुराती मौत जैसी ज़िंदगी का शहर है

ये हसीं जलवों की नँगी सादगी का शहर है

दर्द के क़िस्सों की ख़ातिर वक़्त किसके पास है
ये मेरी आवाज़ की आवारग़ी का शहर है

जश्न है हर क़त्ल बिकती है अना बचपन हया
ये शहर ख़ामोशियों की बानगी का शहर है

चप्पलें फटकारते ग़ालिब यहाँ घूमा किए
मैक़दों में छटपटाती तिश्नगी का शहर है

फिर कोई लाचार सपना ढूँढता है घर यहाँ
ये ख़ुदा की बेबसी, बेचारग़ी का शहर है

रोशनी मिलती है किश्तों में, किराये पर मकां
झिलमिलाती जगमगाती, तीरगी का शहर है

दिल लगा लो बस यहाँ पर बस न जाना तुम कहीं
दोस्त ये दिल्ली है,ज़ालिम, दिल्लगी का शहर है

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Madhup Mohta

Joined: 14 Aug, 2015 | Location: ,

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Published on: 30 Sep, 2015

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