• Published : 20 Aug, 2015
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जो लक्ष्य नहीं निर्धारित तो फ़िर इस भारत भू में नहीं रहना

कर संधान शत्रु पे निकाल तीर कमान से फ़िर तू अपना

पृथ्वीराज सा शब्द-भेदी हो या अर्जुन बन केवल आँख को तकना

बनना ही है तो शिवा सा बन कर पूरा हिन्दू राष्ट्र का सपना

या प्रताप सा हो जा बना राष्ट्र-हित हेतु जंगल घर अपना 

बंदा बहादुर सा हो कर तू कर दे पूरा गुरु का जो है कहना

भगत सिंह सा ज़ज़्बा हो तो फ़िर फांसी से भी क्या डरना

सुभाष जो तेरे आदर्श हो तो कर गठित आज़ाद-हिन्द सेना

या पटेल के क़दमों पर चल बना फ़िर भारत अखंड अपना

विश्वामित्र सी शिक्षा दे हर बालक को बना श्रीराम सा अपना

हो राम-राज्य गाँधी का कर पूरा तिलक के स्वराज का सपना

यह क़र्ज़ चुकाना है तुझे शपथ ले आज फ़िर पूरी करना

बाधाएं-विघ्न भले ही आयें पर देश-काज को अब ना तजना

About the Author

Dr S S Pareek

Joined: 14 Aug, 2015 | Location: , India

I am Medical Doctor by profession. I have started writing poetry about 3 years back, now I used to write it on daily basis trying to write whatever comes to my mind because it gives a sense of creating something and I have not shared it on any platfo...

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Published on: 20 Aug, 2015

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